16 जन॰ 2012

ओ जेहादी !

जा जय घोष कर !
उन्मादी बन जा ,
भूल जा !
जिसे तू मार रहा है ,
वो मर कर भी ना मरा,
तेरे खुदा का नूर था वो ,
उसकी मुहब्बत से
भरपूर था वो /
तेरे जिहाद ने ,
उसे भी ना छोड़ा /
क्यूंकि ये जिहाद ,
खुदा के लिए नहीं ,
खुदा के नूर के लिए नहीं ,
सुव्यवस्था  के कफ़न के लिए है ,

कुछ राक्षसों के 
दम्भी अट्टहास के लिए है , 
जोड़ने के लिए नहीं ,
तोड़ने के लिए है /

ख़ुदा के नाम पर 
लगा रहे हैं   कलंक 
सत्तासीन राक्षस 
बाज नहीं आएंगे 
फैलाते रहेंगे 
बस ये  आतंक / 

1 टिप्पणी:

Amrita Tanmay ने कहा…

यही तो हो रहा है जेहाद के नाम पर ।

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