26 मार्च 2012

ये परखा तो

कौन कहाँ कैसा है प्याला 
ये परखा तो कैसी हाला 
परख परख मत बुन ये जाला 
पंछी बन उड़ पंखों वाला 
प्रेम सुरा पी बन मतवाला  //

"मैं"गया किधर?

एक अजनबी अनजाना सा 
नयन मिल गए फिर जाना सा ,
बार बार क्यूँ दृष्टि  उधर ही 
हर दृष्टि "मैं"गया किधर ही !
मूक नयन जादू कर जाते 
दृष्टि प्रेम का रस भर जाते /
नयन नयन से क्यूँ लड़ जाते 
बिन साकी प्याला भर जाते /
आ प्रियतम अब इसको पी लें 
भंग सुरा बिन मस्ती जी लें //

18 मार्च 2012

बंदी आत्मा

न मूल्य न चरित्र ,न धारणा न धर्मं
बस आधिपत्य ,धनोपार्जन ही कर्म /
मैं और मेरा ,यहाँ वहां साम्राज्य
परिवार हुए समूह, राष्ट्र बने राज्य //
यही तो युगों युगों से स्वार्थ का सपना
जो हो चतुर धनी ,वही सिर्फ अपना //
ऊंचे घरोंदे ,वो पत्थरों की बुलंदी
माटी के पिंजरे ,वहीँ आत्मा बंदी //

15 मार्च 2012

दृश्य शक्ति

सूरज !
क्या कभी छिपता है ?
चाँद !
क्या कभी घटता है ?
ये तो हम हैं
और हमारी दृश्य शक्ति
उतना उजाला
जितनी शक्ति //

14 मार्च 2012

मैं

मैं लहर सा
एकत्र हुआ
व्यक्त हुआ
फिर विलीन
कहीं और
कोई और
किसी और
कला में
व्यक्त होने के लिए //

12 मार्च 2012

"छा जाता"

नदी चपल सी
समुद्र में समाती
समुद्र गंभीर
गहन विस्तरित
ज्वार भाटों से अविचल
लहरों को सहता
शांत ,सम भाव सा
सब कुछ समा लेता
जहाँ नहीं है वहां भी
बादलों से ,
छा जाता //

11 मार्च 2012

"चेहरा "

हर रोज़ नज़र आता , भोला नया सा चेहरा
वो हुस्न की बला सा ,नज़रें गड़ाए चेहरा //
अब एक ही नज़र पे ,वो मुस्कुराये चेहरा
ये मेरी शायरी है ,क्यूँ शरमाये चेहरा //
पेश किया जो गुल को ,गुलाबी हुआ वो चेहरा
दिल को कब औ कैसे ,चुरा गया वो चेहरा //
चेहरे को खूब खोजा , दिखता तुम्हारा चेहरा
हर चेहरे में छुपा सा , ज़ाना तुम्हारा चेहरा //
बाज़ार में तो यूँ भी ,चेहरे पे एक चेहरा
प्याज की वो मानिंद ,अब परत परत चेहरा //
पर वो गुलाब चेहरा ,जाना तुम्हारा चेहरा
नज़रें हटा ना पाऊं ,ये बे-हिजाब चेहरा //
अब आशियाने में भी , लो पुत गया है चेहरा
बहुत हो चूका अब , ज़ाना हटा दे पहरा //
अब ख्वाब आस्मां के , क्यूँ उदास चेहरा
अब उर्दू में कहा है , क्या यूँ ही सुर्ख चेहरा //

7 मार्च 2012

"इस होली तू लगती न्यारी "

इस होली तू लगे अनूठी
रंग खेले ना अब क्यूँ रूठी ?
ला गुलाल अब खेलूं होली
मस्त हुई रंगों की टोली
धूलिवंदन बिन भंग अधूरा
तू मद मस्त रंग है पूरा /
ला टेसू रंग ,सारा रंग दूँ
अंग बचे ना ,अंगिया रंग दूँ
उधर कहीं तू छुपती कब तक
पिचकारी से बचती कब तक ?
बच्चे दूर वहां किलकारी
अब रंग रंगी लगी तू प्यारी
ना भाग कहीं तू खा पिचकारी
इस होली तू लगती न्यारी //

6 मार्च 2012

मिलन करा या पास बुला जा

ओ आसमान अब नीचे आ जा
इस धरती को यूँ ना तरसा
ना जाने कब से ये धरती
घूम घूम कर ढूंढ रही है
सूर्य देव अब दे वर दे दे
पृथ्वी को अपना प्रिय दे दे /
तुम प्रेम पीर को क्या समझे
वोह आसमान को वर समझे
नित सूर्य अग्नि फेरे चाहत के
नित नए भाव नयी ऋतुओं के /
ये धरती कुछ माँगा करती
क्यूँ बादल से ही अर्ध्य चढ़ाती/


वो जंगल धूँ धूँ क्यूँ जलते
इस धरती के बीचों बीच /
निशा काल में क्यूँ लहराती
ये आँचल सी तारों बीच /
ये धरती की ही विरह अग्नि
क्या दावानल बन जाती है
जब धरती रुक रुक रोती है !
क्या तभी सुनामी आती है ./

ओ चाँद उतर अब नदिया आ जा
इस धरती को कुछ समझा जा
अब रात अमावस यूँ ना खो जा
मिलन करा या पास बुला जा //

3 मार्च 2012

"अहंकार "

मैं अद्वितीय
कहीं विशेष
समग्र सृष्टि से
न जुडा शेष ,
यही यही जब
भ्रम को पाला
इसी अहम् ने
फिर डस डाला //

1 मार्च 2012

"अस्तु देवता "

जैसा हम सोचा करते हैं
वैसे ही हो जाया करते /
प्रतिपल दिव्य हमारे मानो
उन्हीं देव को उनमे मानो //
"अस्तु देवता " यत्र-तत्र सब
कहें "तथास्तु" पूर्ण करें सब /
भला बुरा यदि , कहा अनजाना
वही "तथास्तु " हुआ यह जाना //

तब याद तुम्हारी आये

मेरा चाँद आज क्यूँ खोया
ये आसमान क्यूँ सोया
जब भ्रमर कुमुदिनी डोले
दिल उठे हिलोर यूँ हौले
वहां दूर कहीं कोई गाये
दिल उमड़ उमड़ सा जाये
चहुँ ओर बसंत लहराए
यौवन मदमस्त गदराये
तब याद तुम्हारी आये
तब याद तुम्हारी आये //

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