26 मार्च 2012

"मैं"गया किधर?

एक अजनबी अनजाना सा 
नयन मिल गए फिर जाना सा ,
बार बार क्यूँ दृष्टि  उधर ही 
हर दृष्टि "मैं"गया किधर ही !
मूक नयन जादू कर जाते 
दृष्टि प्रेम का रस भर जाते /
नयन नयन से क्यूँ लड़ जाते 
बिन साकी प्याला भर जाते /
आ प्रियतम अब इसको पी लें 
भंग सुरा बिन मस्ती जी लें //

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