12 अप्रैल 2012

रच पाओगे ?

अब यह  तुमने 
क्या  कह डाला 
इश्वर को "कल्पित "
कह डाला ?
सोचो -रचा 
उसीने तुमको /
क्यूँ भूले वह  
रचता सबको ?
तुम अब  रूप ही 
उस का रचते /
जैसा रचते 
वैसा बनते /
फिर  तुम हो 
अंश मात्र ही ,
रचना उसकी 
नाम मात्र ही /
उसको तो क्या 
रच पाओगे 
क्या अपने को 
रच पाओगे ?

18 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

आप तो रच ही रहे......

Seema ने कहा…

Bahut hi sunder

रविकर ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
बधाईयाँ ||

Dr.Manish Tiwari ने कहा…

yup you Did it extraordinary... Rach paoge.......Nahi Main nahi..

dk ने कहा…

Again an excellent piece:)

Dishak

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

THANX A LOT :)

Kiran Arya ने कहा…

Namaskaar Sir bahut hi utkrisht bhav aur khoobsurat rachna.......abhaar sanjha karne ke liye.......

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

thnx :)

Unknown ने कहा…

aap ki panktiyo ko parhne ke bad hane Kailash Gautam jee ki yad aati hai allahabad me rahte the

biradar ने कहा…

तुम हो अंश क्या अपने को
रच पाओगे!jant tumhi tumhi hoe jayi....

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

:)Rai sahab?

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

thnx Disha !

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

Thnx Dr Manish !

कविता रावत ने कहा…

ishwar hai tabhi to aadmi aadmi bana rahta hai .
bahut badiya!

Vivek Khanna ने कहा…

बहुत बढ़िया

travel ufo ने कहा…

गजब की रचना

travel ufo ने कहा…

विचारोत्तेजक

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बेहतरीन...
गहन विचारोक्ति.....

अनु

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