30 मई 2012

" प्रेयसी "

साथ तेरे 
रोदन 
साथ तेरे 
क्रीडा 
यहाँ 
वहां 
जहाँ 
तहां ,
परछाई सी 
तू  है 
तू ही 
जीवन का रस 
प्रेम !

5 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुंदर....

अनु

Anamikaghatak ने कहा…

wah wah wah....khubsurat abhiwykti

Shanti Garg ने कहा…

बहुत बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

Mr. Madhusudan Khemundu ने कहा…

nice poem, i like it.....

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

thanx

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