23 जन॰ 2012

"व्यक्त कर ले"



कौन कहाँ ,
दूर कितना !
सोच भर ले !
गमन कर ले ,
व्यक्त कर ले ,
समय कम है ,
कलम से ही ,
अभिव्यक्त कर ले !
सोच का गमन तेरा ,
देख चेतन ,
या अचेतन ,
प्रवाह के ,
प्रभाव से ,
सृष्टि के ,
विश्वास से !
दूर तक तू ,
गमन कर ले !
आज तू अभिव्यक्त कर ले /
आज का अस्तित्व तेरा ,
व्यक्त कर ले ,//

" सभी भिखारी "

जा देख !
मांगता है वो भी ,
स्वामी ,अट्टालिकाओं का
जो महत्व का ,
श्रेष्ठ समाज का ,
मांगता है वो भी ,
जो सत्ता में है मद मत्त
ऐश्वर्य में रत ,
मांगता है वो भी ,
जो है धरा का स्वामी ,
चांदी की चम्मच लिए जन्मा ,
मांगता है वो भी ,
उन्ही दो हाथों से ,
बरसों से जो ,
वृक्ष के नीचे ,
या कहीं चौराहे पर,
गरीब बताकर ,
सदियों से ,
खुले हैं /


"नैन सुख"

आ नैन लड़ा लें
नैन सुख ,रसमय
सब दुःख भूल
उड़ चलें ,स्वप्न रथ
जीवन यात्रा ,
यूँ ही ,
और बढ़ा लें ,
नैन लड़ा लें ,
प्रेम बढ़ा लें /

"माँ "

यक्ष प्रश्न सा ,
माँ का आँचल
क्यूँ सुभीता
सामीप्य माँ का
तरसाता सब को
क्यूँ स्नेह जीता /

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