राम पुरुष हैं ,
राम चरित हैं
राम बनवास /
रावण वध को
त्याग तपस्या ,
जन जन की
वोह बन गए आस /
भ्रात्र प्रेम का
मात्र प्रेम का
गुरु भक्ति ,
आदर्श राज्य का /
पशु पक्षी भी
बच न पायें
राम प्रेम को
भूल न पायें /
दहन हुआ फिर
राक्षसता का
देवत्व विजित फिर
स्वर्ग सुगंध सा
संहारों से मुक्ति देते
राम हमारे ,
सब सुख देते
सब सुख देते /