14 फ़र॰ 2012

कहीं तुम दूर बैठे हो

कोई आवाज देता है
कोई फिर याद करता है
कहीं वो दूर होकर भी
वही फरियाद करता है
वो बदली का एक टुकड़ा
या फिर सन्देश उसका है /
ये परिंदे दूर उड़ते हैं
कहीं तुम तक ही जाते हैं ,
उधर ये चाँद कैसा है
कहीं तुम उसके पीछे हो
ये सितारे मुस्कुराते हैं
कहीं इनमे बस गए हो ,
ये गूंजे फूलों पे भंवरे
नया कुछ आज कहते हैं /
ये तितली क्यूँ लगे प्यारी
हवा में खुशबू सी न्यारी /
ये कोंपल कुछ तो कहती है
ये शाखें झूल जाती हैं
कहीं शब्दों में तुम छिप कर
नई कविता में दीखते हो
कहीं तुम दूर बैठे हो
मुझे आवाज देते हो /
तुम्हारे साथ के वो पल
यहीं बस तुम ही थे हर पल ,
वो पल अब उड़ते जाते हैं
वो पल अब याद आते हैं /
कहीं तुम दूर बैठे हो
मुझे आवाज देते हो /

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