घोर रात्रि ,
महा रात्रि यह
शिवा रात्रि /
याद फिर वह
नृत्य शिव का
लय-प्रलय को
लीलती सी /
फिर वही वह
घोर रौरव
शिव त्रिनेत्री
शिवा तांडव /
माह फाल्गुन
महा रात्रि
फिर वही वह
शिवा रात्रि /
देख दूल्हा
शिव बना फिर
काल भैरव ,
शिवा रौरव
चल पड़े
नरमुंड कितने !
सुर असुर औ
बुरे कितने !
यही है बारात उसकी
महा रात्रि ये पार्वती की //