3 सित॰ 2012

आह !

उन्मुक्त गगन 
बादल सघन 
उड़ते पक्षी 
करते नर्तन 
दो पंखो से 
लहराते से ,
असीम आकाश 
 छूने की चाह ,
ओह लघु जीवन !
ओह यह आह !

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