30 सित॰ 2013

नया दृश्य

मैने ज्यों उछाला राष्ट्र  शब्द

छा गया सन्नाटा ,सब निशब्द

फिर बात की राष्ट्र प्रेम की

वहां बात हुई रास प्रेम की /

शब्द ईमान औ ईमानदारी भी उछाले

उन्हें लगी मूर्खता औ मुंह पे लगे ताले /

अरे वो श्रवण कुमार अब तो बस कांवरिया

डिस्को में नाचता , अब रात भर सांवरिया /

रिश्ते नातेदार निरे समय गंवाते ,

चचा ताऊ बक बक ,बहुत सर खाते /

कविता औ छंद अब लगें चप्पो लल्लो

सुनने दो शीला या बस छम्मक छल्लो /

अब जेब कतरों से पट गयी दिल्ली

देवी के जागरणों में भक्त पड़े टल्ली//

मदरसों आश्रमों में बढ़ता अनाचार 

धर्म धर्म नहीं ,धर्म अब व्यापार /

इन  सभी दृश्यों का ना अब कोई अंत 

सत्य जहाँ दिखता ऐसा न कोई पंथ /

भ्रष्ट हुए तंत्र अब भ्रष्ट सारे मंत्र //

14 मई 2013

वह न आई !

कहीं दूर 
कोई आहट सी 
शायद उसी की 
वहां किसी मोड़ 
सांझ का दीवट 
वहीँ फिर में छुपा सा 
सहसा 
उठती हुई ध्वनिओं का 
अहसास सा हुआ 
वहीँ तो छोड़ा था उसे 
की शायद याद न आये 

 वह फिर आई 
 किन्तु 
 वह न आई !

10 मार्च 2013

नेता महान

मै भारत का नेता हूँ 
नेता नहीं अभिनेता हूँ 
चमचे चिपकें जैसे गोंद 
धोती नीचे हिलती तोंद //
मेरी तोंद बढे हो मोटी 
सारे चेले सेंके रोटी 
जहाँ कहीं भी फिर में जाऊं 
मालाओं से लदता जाऊं //
भाषण देता खूब उबाऊ 
राजनीती में सदा बिकाऊ 
कहीं मंच पर खड़ा करो तो 
गला फाड़ फिर खूब पकाऊँ //
नाक नुकीली ,हो या चपटी 
कोई फर्क नहीं मै कपटी 
श्वेत झकाझक बगुले जैसा 
रंग बदलता गिरगिट जैसा //
मै भारत की दलदल हूँ 
दले बदलता छल बल हूँ 
रातों रात पार्टियां बदलूं 
एक तोड़कर नयी बना लूँ //
ऐसी भारत की गरिमा हूँ 
गरिमा नहीं करिश्मा हूँ 
प्रजातंत्र की नीव हूँ मै 
गलियों से पोषित जीव हूँ मै //
जब भी मै चुनकर आ जाऊं 
एमपी एमएलए बन जाऊं 
सारे वादे भूल भाल कर 
सत्ता मद में ऐंठा जाऊं //
घोटालों  में नाम बड़ा 
भक्त बनें छोटा या बड़ा 
फिर नवीन वादे रच जाऊं 
और चुनावी बिगुल बजाऊं //
मैं ही चलाता तंत्र देश का 
मै ही भक्षक स्वतंत्र देश का 
स्वछन्द आचरण करता हूँ 
नए कानून बनाता हूँ //
जो नर मेरे आसपास हैं 
पूर्ण निकम्मे ख़ास खास हैं 
मंत्री बन बदलूं सभी का हाल 
सारे निकम्मे मालामाल //
ऐसा हूँ भारत का नेता 
नयी पीढ़ी का में ही प्रणेता 
छोड़ योग्यता के सोपान 
बन जा तू नेता महान 
बन जा तू नेता महान //

3 फ़र॰ 2013

गिरने की यातना

दरख़्त पे चिड़िया 
फुदकती घोसले में बया 
अहसास क्यूँ न हुआ /
पत्ते बंधे शाखों से 
कैदी बने झुरमुट से 
वो चिड़िया मुक्त पक्षी 
पत्ते मुक्त भी हुए 
तो भी गिरेंगे 
कुचले जायेंगे 
सोंधी  ज़मीनों पे 
काश वो भी चिड़िया होते 
उनके भी पंख होते 
न गिरते न कैदी होते 
गाते से उड़ते से 
ऊंचे और ऊंचे उन्मुक्त 
दूर उसी बंदीगृह से 
और उस गिरने की यातना से //

भ्रम दूर

यूं अतल गह्वर में खो गया सतहों से दूर भ्रमों ने खूब नाच नचाये मधुर भयावह स्वप्न लहराए डूबता गया ,किनारों से दूर मूँगों के झुरमुट ,मोतियों की सीपियाँ ध्वनि विहीन अनगिनत दृश्यावलियाँ हो चूका बस अब ,हुआ मैं चूर हुए स्वप्न बहुत ,हुए भ्रम दूर //

नहीं हूँ आभास

मुठ्ठी में लिए शब्द 
बिखरा दिए आस्मा मे 
छितराए से ,इतराए से 
जा मिले सितारों से 
 सितारों की उदासी दूर 
मैं  फिर अकेला ,
नशे में चूर /
  क्या है सबब  ,
क्यूँ  ये उदासी
ये चाहत है किसी की 
या चाहत है ओढी सी  ?
 खेलूँगा फिर शब्दों से 
दिखाऊंगा फिर छन्दो से 
ओ दूर वालों ! देखो !
क्या क्या बुनने की नियत ,
रूमी की रूमानियत ,
ये ओढ़े हुए लिबास ,
नहीं यूँ शक  न करो 
में सच हूँ ,
नहीं हूँ आभास //

5 जन॰ 2013

नवागत का स्वागत

नवागत का स्वागत 
रहें सदा जाग्रत 
फूलें फलें बना रहे हर्ष 
ऐसा रहे यह नव वर्ष /
भूलें जो हुआ व्यतीत 
सबक लें ,बनें कालातीत //
मन में रहे प्रार्थना 
करते रहें उपासना 
पुष्प गुच्छ से रहें पल्लवित 
नए साल में रहें उल्लसित //
श्रेष्ठता के नित नए प्रयास 
गिर कर उठें ,फिर बढ़ें 
छोड़ें ना अपनी आस //
महिलाएं हैं आन बान 
भारत वर्ष की शान ,
उनको दें सम्मान और प्यार 
फूले फले बगिया ,रहे सुगन्धित बयार //

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