"आज की अभिव्यक्ति "(Hindi Poems) कवि नीरज की दैनिक अभिव्यक्ति का एक अंश मात्र.....Contact 9717695017
30 सित॰ 2013
14 मई 2013
वह न आई !
कहीं दूर
कोई आहट सी
शायद उसी की
वहां किसी मोड़
सांझ का दीवट
वहीँ फिर में छुपा सा
सहसा
उठती हुई ध्वनिओं का
अहसास सा हुआ
वहीँ तो छोड़ा था उसे
की शायद याद न आये
वह फिर आई
किन्तु
वह न आई !
10 मार्च 2013
नेता महान
मै भारत का नेता हूँ
नेता नहीं अभिनेता हूँ
चमचे चिपकें जैसे गोंद
धोती नीचे हिलती तोंद //
मेरी तोंद बढे हो मोटी
सारे चेले सेंके रोटी
जहाँ कहीं भी फिर में जाऊं
मालाओं से लदता जाऊं //
भाषण देता खूब उबाऊ
राजनीती में सदा बिकाऊ
कहीं मंच पर खड़ा करो तो
गला फाड़ फिर खूब पकाऊँ //
नाक नुकीली ,हो या चपटी
कोई फर्क नहीं मै कपटी
श्वेत झकाझक बगुले जैसा
रंग बदलता गिरगिट जैसा //
मै भारत की दलदल हूँ
दले बदलता छल बल हूँ
रातों रात पार्टियां बदलूं
एक तोड़कर नयी बना लूँ //
ऐसी भारत की गरिमा हूँ
गरिमा नहीं करिश्मा हूँ
प्रजातंत्र की नीव हूँ मै
गलियों से पोषित जीव हूँ मै //
जब भी मै चुनकर आ जाऊं
एमपी एमएलए बन जाऊं
सारे वादे भूल भाल कर
सत्ता मद में ऐंठा जाऊं //
घोटालों में नाम बड़ा
भक्त बनें छोटा या बड़ा
फिर नवीन वादे रच जाऊं
और चुनावी बिगुल बजाऊं //
मैं ही चलाता तंत्र देश का
मै ही भक्षक स्वतंत्र देश का
स्वछन्द आचरण करता हूँ
नए कानून बनाता हूँ //
जो नर मेरे आसपास हैं
पूर्ण निकम्मे ख़ास खास हैं
मंत्री बन बदलूं सभी का हाल
सारे निकम्मे मालामाल //
ऐसा हूँ भारत का नेता
नयी पीढ़ी का में ही प्रणेता
छोड़ योग्यता के सोपान
बन जा तू नेता महान
बन जा तू नेता महान //
3 फ़र॰ 2013
गिरने की यातना
दरख़्त पे चिड़िया
फुदकती घोसले में बया
अहसास क्यूँ न हुआ /
पत्ते बंधे शाखों से
कैदी बने झुरमुट से
वो चिड़िया मुक्त पक्षी
पत्ते मुक्त भी हुए
तो भी गिरेंगे
कुचले जायेंगे
सोंधी ज़मीनों पे
काश वो भी चिड़िया होते
उनके भी पंख होते
न गिरते न कैदी होते
गाते से उड़ते से
ऊंचे और ऊंचे उन्मुक्त
दूर उसी बंदीगृह से
और उस गिरने की यातना से //
भ्रम दूर
यूं अतल गह्वर में खो गया सतहों से दूर भ्रमों ने खूब नाच नचाये मधुर भयावह स्वप्न लहराए डूबता गया ,किनारों से दूर मूँगों के झुरमुट ,मोतियों की सीपियाँ ध्वनि विहीन अनगिनत दृश्यावलियाँ हो चूका बस अब ,हुआ मैं चूर हुए स्वप्न बहुत ,हुए भ्रम दूर //
नहीं हूँ आभास
मुठ्ठी में लिए शब्द
बिखरा दिए आस्मा मे
छितराए से ,इतराए से
जा मिले सितारों से
सितारों की उदासी दूर
मैं फिर अकेला ,
नशे में चूर /
क्या है सबब ,
क्यूँ ये उदासी
ये चाहत है किसी की
या चाहत है ओढी सी ?
खेलूँगा फिर शब्दों से
दिखाऊंगा फिर छन्दो से
ओ दूर वालों ! देखो !
क्या क्या बुनने की नियत ,
रूमी की रूमानियत ,
ये ओढ़े हुए लिबास ,
नहीं यूँ शक न करो
में सच हूँ ,
नहीं हूँ आभास //
5 जन॰ 2013
नवागत का स्वागत
नवागत का स्वागत
रहें सदा जाग्रत
फूलें फलें बना रहे हर्ष
ऐसा रहे यह नव वर्ष /
भूलें जो हुआ व्यतीत
सबक लें ,बनें कालातीत //
मन में रहे प्रार्थना
करते रहें उपासना
पुष्प गुच्छ से रहें पल्लवित
नए साल में रहें उल्लसित //
श्रेष्ठता के नित नए प्रयास
गिर कर उठें ,फिर बढ़ें
छोड़ें ना अपनी आस //
महिलाएं हैं आन बान
भारत वर्ष की शान ,
उनको दें सम्मान और प्यार
फूले फले बगिया ,रहे सुगन्धित बयार //
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