14 मई 2013

वह न आई !

कहीं दूर 
कोई आहट सी 
शायद उसी की 
वहां किसी मोड़ 
सांझ का दीवट 
वहीँ फिर में छुपा सा 
सहसा 
उठती हुई ध्वनिओं का 
अहसास सा हुआ 
वहीँ तो छोड़ा था उसे 
की शायद याद न आये 

 वह फिर आई 
 किन्तु 
 वह न आई !

5 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
धन्यवाद

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति !

अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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Amrita Tanmay ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति..

Unknown ने कहा…

Bahut sundar

Ajnabee Raja ने कहा…

वाह क्या बात है

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