25 नव॰ 2017

परोक्ष बुद्धि

समझ ,समझ से 
समझ को समझो 
समझ से समझना 
बड़ी बात है 

बुद्धि परायी 
काम न आयी 
स्वयं को जानो 
तभी बात है /

इधर उधर यदि 
व्यर्थ की बाते 
दिन हों व्यतीत 
फिर वही रात है /


किसने   बदला 
इस जगती को ?
स्वयं को बदला 
तभी  बात है /

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