12 नव॰ 2021

बस तार तार

 काल के प्रवाह में 

भूत भविष्य दाह में 

वर्तमान के सत्य 

असत्य हुए सब कथ्य ,

जुड़ती खंडित प्रतिमाएं 

आओ फिर से रोष जतायें //


सर्व जगत का केंद्र ये मैं 

आत्म शक्ति आधार ये मेँ 

मेँ ही कहता स्वयं को मेँ 

नहीं विलग तुझसे ये मेँ ,

क्षणिक आभासी अलगाव 

सदा रहा कल्पों से जुड़ाव //


वो रहस्य सा रुप बदलता 

भर्मित ज्ञान चर्चाएं करता 

कभी कभी जब लगा जीत सा 

पाया समर्पित रहा मीत सा ,

शब्द कीर्तन भजन गुंजार 

जिसे समझा ज्ञान ,बस तार तार //

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