समझ ,समझ से
समझ को समझो
समझ से समझना
बड़ी बात है
बुद्धि परायी
काम न आयी
स्वयं को जानो
तभी बात है /
इधर उधर यदि
व्यर्थ की बाते
दिन हों व्यतीत
फिर वही रात है /
किसने बदला
इस जगती को ?
स्वयं को बदला
तभी बात है /
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें