12 अप्रैल 2012

रच पाओगे ?

अब यह  तुमने 
क्या  कह डाला 
इश्वर को "कल्पित "
कह डाला ?
सोचो -रचा 
उसीने तुमको /
क्यूँ भूले वह  
रचता सबको ?
तुम अब  रूप ही 
उस का रचते /
जैसा रचते 
वैसा बनते /
फिर  तुम हो 
अंश मात्र ही ,
रचना उसकी 
नाम मात्र ही /
उसको तो क्या 
रच पाओगे 
क्या अपने को 
रच पाओगे ?

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