मै भारत का नेता हूँ
नेता नहीं अभिनेता हूँ
चमचे चिपकें जैसे गोंद
धोती नीचे हिलती तोंद //
मेरी तोंद बढे हो मोटी
सारे चेले सेंके रोटी
जहाँ कहीं भी फिर में जाऊं
मालाओं से लदता जाऊं //
भाषण देता खूब उबाऊ
राजनीती में सदा बिकाऊ
कहीं मंच पर खड़ा करो तो
गला फाड़ फिर खूब पकाऊँ //
नाक नुकीली ,हो या चपटी
कोई फर्क नहीं मै कपटी
श्वेत झकाझक बगुले जैसा
रंग बदलता गिरगिट जैसा //
मै भारत की दलदल हूँ
दले बदलता छल बल हूँ
रातों रात पार्टियां बदलूं
एक तोड़कर नयी बना लूँ //
ऐसी भारत की गरिमा हूँ
गरिमा नहीं करिश्मा हूँ
प्रजातंत्र की नीव हूँ मै
गलियों से पोषित जीव हूँ मै //
जब भी मै चुनकर आ जाऊं
एमपी एमएलए बन जाऊं
सारे वादे भूल भाल कर
सत्ता मद में ऐंठा जाऊं //
घोटालों में नाम बड़ा
भक्त बनें छोटा या बड़ा
फिर नवीन वादे रच जाऊं
और चुनावी बिगुल बजाऊं //
मैं ही चलाता तंत्र देश का
मै ही भक्षक स्वतंत्र देश का
स्वछन्द आचरण करता हूँ
नए कानून बनाता हूँ //
जो नर मेरे आसपास हैं
पूर्ण निकम्मे ख़ास खास हैं
मंत्री बन बदलूं सभी का हाल
सारे निकम्मे मालामाल //
ऐसा हूँ भारत का नेता
नयी पीढ़ी का में ही प्रणेता
छोड़ योग्यता के सोपान
बन जा तू नेता महान
बन जा तू नेता महान //
8 टिप्पणियां:
बढ़िया है भाई-
आज के नेता का आपने सही खाका खींचा है
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साधुवाद
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
वाह!
नीरज क्या शानदार खाका खींच डाला है नेता का जोकि नेता शब्द के नाम पर कलंक बन चुके हैं
प्रभात
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