आने के दरकार नहीं है
जहाँ बेठे हैं वहां हैं
जो बह रहा है वह है
आइये चलें बहाव के साथ
क्योंकि
बहाव ही ईश्वरीय प्रेरणा हैं
हमारे गंतव्य
पूर्व ही चुने हुए हैं
हाथ पैर मारेंगे तो
तेजी अवश्य आएगी
हम ऊपर दिखाई भी देंगे
क्यूंकि गंतव्य को मोड़ नहीं सकते
गंतव्य को छोड़ नहीं सकते
चुने हुए है हम
हम और हमारे गंतव्य //
2 टिप्पणियां:
sahi kaha aapne......."'chune hue hain hum aur humare gantavya".....
that's true!
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