सोचा करता !
अगर काल यह ,
रोका जाता !
प्रतिपल मुठ्ठी ,
हाथ बढाकर ,
उड़ते पल को !
पकड़ा करता ,
मुठ्ठी खोल ,
पलों को फिर !
तितली जैसा ,
खूब उड़ाता /
चाहे जब ,
आनंद मनाता
चाहे जब ,
मुखरित हो जाता /
कालजेय सा ,
छाती ताने ,
स्वप्न स्वयं के ,
सच कर पाता//
"आज की अभिव्यक्ति "(Hindi Poems) कवि नीरज की दैनिक अभिव्यक्ति का एक अंश मात्र.....Contact 9717695017
मै भारत का नेता हूँ नेता नहीं अभिनेता हूँ चमचे चिपकें जैसे गोंद धोती नीचे हिलती तोंद // मेरी तोंद बढे हो मोटी सारे चेले सेंक...
1 टिप्पणी:
काश!
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