एक अजनबी अनजाना सा
नयन मिल गए फिर जाना सा ,
बार बार क्यूँ दृष्टि उधर ही
हर दृष्टि "मैं"गया किधर ही !
मूक नयन जादू कर जाते
दृष्टि प्रेम का रस भर जाते /
नयन नयन से क्यूँ लड़ जाते
बिन साकी प्याला भर जाते /
आ प्रियतम अब इसको पी लें
भंग सुरा बिन मस्ती जी लें //
1 टिप्पणी:
kya baat hai??????????
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