अब यह तुमने
क्या कह डाला
इश्वर को "कल्पित "
कह डाला ?
सोचो -रचा
उसीने तुमको /
क्यूँ भूले वह
रचता सबको ?
तुम अब रूप ही
उस का रचते /
जैसा रचते
वैसा बनते /
फिर तुम हो
अंश मात्र ही ,
रचना उसकी
नाम मात्र ही /
उसको तो क्या
रच पाओगे
क्या अपने को
रच पाओगे ?
18 टिप्पणियां:
आप तो रच ही रहे......
Bahut hi sunder
बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
बधाईयाँ ||
yup you Did it extraordinary... Rach paoge.......Nahi Main nahi..
Again an excellent piece:)
Dishak
THANX A LOT :)
Namaskaar Sir bahut hi utkrisht bhav aur khoobsurat rachna.......abhaar sanjha karne ke liye.......
thnx :)
aap ki panktiyo ko parhne ke bad hane Kailash Gautam jee ki yad aati hai allahabad me rahte the
तुम हो अंश क्या अपने को
रच पाओगे!jant tumhi tumhi hoe jayi....
:)Rai sahab?
thnx Disha !
Thnx Dr Manish !
ishwar hai tabhi to aadmi aadmi bana rahta hai .
bahut badiya!
बहुत बढ़िया
गजब की रचना
विचारोत्तेजक
बेहतरीन...
गहन विचारोक्ति.....
अनु
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