यूं अतल गह्वर में खो गया सतहों से दूर भ्रमों ने खूब नाच नचाये मधुर भयावह स्वप्न लहराए डूबता गया ,किनारों से दूर मूँगों के झुरमुट ,मोतियों की सीपियाँ ध्वनि विहीन अनगिनत दृश्यावलियाँ हो चूका बस अब ,हुआ मैं चूर हुए स्वप्न बहुत ,हुए भ्रम दूर //
"आज की अभिव्यक्ति "(Hindi Poems) कवि नीरज की दैनिक अभिव्यक्ति का एक अंश मात्र.....Contact 9717695017
3 फ़र॰ 2013
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नेता महान
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1 टिप्पणी:
भ्रम ही सही पर कुछ पता तो चला .जैसे मूँगों के झुरमुट ,
मोतियों की सीपियाँ ......
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