क्या कहें ,
और सुने
किस को ?
ये जीवन अब ,
बन गया ,
दुनिया का डिस्को !
खाएं पीयें
मौज उड़ायें ,
सो जाएँ /
जिम में जाएँ
वज़न घटायें /
ज्यादा गर सोचा तो
धमनियां बढ़ जाएँगी
जो न सोचा वो सोचोगे
टेंशन बढ़ जाएगी /
इसीलिये भूल जाओ
संस्कृति औ संस्कृत को
मै कोक हूँ वो केक है ,
भूलो पुरातन सब ,
अपना लो यही ,
पेप्सी कोला
कल्चर को //
3 टिप्पणियां:
kaise bhool jaye ...ham apne ap ko ...sochne ke liye majboor kar diya apki kawita ne...badhiya
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
:)thnx
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