कोई फिर याद करता है
कहीं वो दूर होकर भी
वही फरियाद करता है
वो बदली का एक टुकड़ा
या फिर सन्देश उसका है /
ये परिंदे दूर उड़ते हैं
कहीं तुम तक ही जाते हैं ,
उधर ये चाँद कैसा है
कहीं तुम उसके पीछे हो
ये सितारे मुस्कुराते हैं
कहीं इनमे बस गए हो ,
ये गूंजे फूलों पे भंवरे
नया कुछ आज कहते हैं /
ये तितली क्यूँ लगे प्यारी
हवा में खुशबू सी न्यारी /
ये कोंपल कुछ तो कहती है
ये शाखें झूल जाती हैं
कहीं शब्दों में तुम छिप कर
नई कविता में दीखते हो
कहीं तुम दूर बैठे हो
मुझे आवाज देते हो /
तुम्हारे साथ के वो पल
यहीं बस तुम ही थे हर पल ,
वो पल अब उड़ते जाते हैं
वो पल अब याद आते हैं /
कहीं तुम दूर बैठे हो
मुझे आवाज देते हो /
4 टिप्पणियां:
लगता है आपने संसार को खुली आँखों से देखा है ...बहुत ही सुन्दर ..
ये कोंपल कुछ तो कहती है
ये शाखें झूल जाती हैं
कहीं शब्दों में तुम छिप कर
नई कविता में दीखते हो ....
bahut shandaar ...aisi sunder rachnaaon ke liye bahut abhut badhaayee ...shubh kaamnaayen!!!
धन्यवाद :)
bahut khoob
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