ये आसमान क्यूँ सोया
जब भ्रमर कुमुदिनी डोले
दिल उठे हिलोर यूँ हौले
वहां दूर कहीं कोई गाये
दिल उमड़ उमड़ सा जाये
चहुँ ओर बसंत लहराए
यौवन मदमस्त गदराये
तब याद तुम्हारी आये
तब याद तुम्हारी आये //
4 टिप्पणियां:
its beautiful... so nice Neerajji...
thnx ;)
बहुत ही खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.....
khoobsurat rachna...Neeraj ji
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