नदी चपल सी
समुद्र में समाती
समुद्र गंभीर
गहन विस्तरित
ज्वार भाटों से अविचल
लहरों को सहता
शांत ,सम भाव सा
सब कुछ समा लेता
जहाँ नहीं है वहां भी
बादलों से ,
छा जाता //
"आज की अभिव्यक्ति "(Hindi Poems) कवि नीरज की दैनिक अभिव्यक्ति का एक अंश मात्र.....Contact 9717695017
मै भारत का नेता हूँ नेता नहीं अभिनेता हूँ चमचे चिपकें जैसे गोंद धोती नीचे हिलती तोंद // मेरी तोंद बढे हो मोटी सारे चेले सेंक...
2 टिप्पणियां:
बहुत बहुत धन्यवाद ! शास्त्री साहब !
VERY SHORT AND SWEET
एक टिप्पणी भेजें