12 मार्च 2012

"छा जाता"

नदी चपल सी
समुद्र में समाती
समुद्र गंभीर
गहन विस्तरित
ज्वार भाटों से अविचल
लहरों को सहता
शांत ,सम भाव सा
सब कुछ समा लेता
जहाँ नहीं है वहां भी
बादलों से ,
छा जाता //

2 टिप्‍पणियां:

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद ! शास्त्री साहब !

Seema ने कहा…

VERY SHORT AND SWEET

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