अब शोर बीच यूँ
कुछ तो बोलो
इस चुप्पी को
कुछ तो खोलो /
ढूंढ रहा यूँ
कब से तुमको
धुंध हटा अब
देख उजाला
इस जग में
मत रह मतवाला
आँख नशीली
खोल , बोल अब /
यही रहस्य तो
यही सौंदर्य है /
अब भ्रम उड़ जा
उड़ बादल सा
आ यथार्थ अब
दूर उड़ा जा
स्वप्न चिरैया
दूर कहीं अब
आ प्रभात रवि
उद्भासित कर जा
चल भ्रम उड़ जा /
5 टिप्पणियां:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |
behad umda likha hai sir...
अच्छी रचना
bahut khoob........
Thnx
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