दरख़्त पे चिड़िया
फुदकती घोसले में बया
अहसास क्यूँ न हुआ /
पत्ते बंधे शाखों से
कैदी बने झुरमुट से
वो चिड़िया मुक्त पक्षी
पत्ते मुक्त भी हुए
तो भी गिरेंगे
कुचले जायेंगे
सोंधी ज़मीनों पे
काश वो भी चिड़िया होते
उनके भी पंख होते
न गिरते न कैदी होते
गाते से उड़ते से
ऊंचे और ऊंचे उन्मुक्त
दूर उसी बंदीगृह से
और उस गिरने की यातना से //
4 टिप्पणियां:
suder kalpna......but in reality गिरने की यातना ही उठने की प्रेरणा भी देते हैं। प्रसिद्ध कवि shelly के अनुसार, ""If Winter comes, can Spring be far behind?"
कास हम भी पंक्षी होते,अतिसुन्दर!!!
Beautiful Lines!
Beautiful Lines!
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