मनुष्य के उस पार ,
मानवीय मस्तिष्क के पार ,
कुछ है ,जो समझ से परे है /
जो देखा वो माना !
जो सुना ,वो विश्वास किया ,
जो न जाना ,तर्क से परखा ,
जिसकी कोई सीमा नहीं ,
पुस्तकों शास्त्रों में बंद वो ,
मानवीय प्रेरणा ,निशब्द /
बुद्ध के मौन में मिला ,
शांत सब कुछ !
विस्फोट असीमित शक्ति सा ,
अनवरत तरंग सा ,
स्वयं को प्रकाशित करता /
में हूँ में हूँ का नाद करता ,
सब प्रश्नों को व्यर्थ करता ,
शांत सब कुछ ,भाव में वो
प्रेम के मौन में मिलता !
"आज की अभिव्यक्ति "(Hindi Poems) कवि नीरज की दैनिक अभिव्यक्ति का एक अंश मात्र.....Contact 9717695017
16 जन॰ 2012
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6 टिप्पणियां:
behtarin.....abhar
प्रेम की मौन भाषा बहुत कुछ कहती है......अद्भुत अभिव्यक्ति.....
THNX
thanx a lot :)
अभिव्यक्ति ओर अनुभव दोनों ही दृष्टि में आप की पकड़ उत्तम है, यही नहीं बल्कि आपकी कवितायेँ मानव मन की गहराईयों के मौन को प्रस्तुत करती हैं! आप जीवन के सत्यो का आकलन कर, उनमे से चिरंतन पक्छ को ग्रहण और आत्मसात करते हैं, जो एक कलाकार का परम उदेश्य है, इस सुन्दर रचना के लिए मित्र !आपका बहुत बहुत आभार!
आप बहुत अच्छा लिखते हो!
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